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जुलाई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

परस्त्री गमन के लिये प्रेरित गाँधी जी

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साफगोई एक ऐसा गुण जो बडी मुश्किल से देखने को मिलता है। मेरा मानना है कि गाँधी जी में जो साफगोई थी वही उन्हें महात्मा कहलाने के लिये पर्याप्त थी।  20 वर्ष का एक विवाहित नवयुवक अपनी पत्नी और दुधमुंहे बच्चे को छोडकर जब विलायत गया तो वहाँ के रहन सहन और जीवनशैली के प्रभाव मे परस्त्री गमन के लिये प्रेरित हुआ। सामाजिक प्रतिष्ठा को मटियामेट कर देने जैसे इस गंभीर विषय को भी गाँधी जी ने अपनी आत्मकथा में बेबाकी से लिखा था। यह साहस गाँधी जी ही कर सकते थे। उन्होने लिखा है- "......पर अब मेरी उम्र 20 साल की थी। मै गृहस्थाश्रम का ठीक ठाक अनुभव ले चुका था। मेरे विलायत निवास के आखिरी साल में पोर्टस्मथ में अन्नाहारियों का सम्मेलन हुआ। उसमें मुझे और एक हिन्दुस्तानी मित्र को निमंत्रित किया गया था। हम दोनो वहाँ पहुंचे हमें एक महिला के घर ठहराया गया था। पोर्टस्मथ खलासियों का बंदरगाह कहलाता है। वहाँ बहुतेरे घर दुराचारिणी स्त्रियों के होते हैं। वे सभी स्त्रियां वैश्या नहीं होती, और न ही निर्दोष ही होती हैं। ऐसे ही एक घर में हम टिके थे। रात हुई। हम भोजन के बाद ताश खेलने बैठे। बिलायत में अच्छे

भूस्वामित्व अभिलेखों पर अकबर और टोडरमल की उपस्थिति

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''काल गणना’’ काल गणना से संबंधित किसी पोस्ट में मैने बताया था कि सन् 20817 ई0 ऐसा समय होगा जब क्रिश्चियन और इस्लाम का अंतर समाप्त हो जायगा यानी क्रिश्चियन ग्रेगेरियन कलेन्डर और हिजरी कलेन्डर में ऐक जैसा वर्ष सन् 20817 हि0/ई0होगा।  अब बात करतें हैं ऐक और ऐसे कलेन्डर की जिसमें और हिजरी वर्ष में कोई अन्तर न था। वह वर्ष था सन् 1556 ई0 का जब अकबर का राज्यारोहण हुआ था। इस वर्ष की हिजरी संवत 963 हि0 थी। अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल थे जिन्होने अकबर के समय में समूचे साम्राज्य की भूमि का बन्दोबस्त कराया था। टोडरमल ने राज्य की समूची भूमि को उसकी श्रेणी और स्वामित्व के आधार पर वर्गीक्रत करते हुये इसका अभिलेखीकरण कराया था। भूअभिलेखोें को खतौनी का विशिष्ट नाम भी इसी काल में मिला। भूअभिलेखों का मुख्य सरोकार खेती अथवा फसल से होता था इसलिये इसके सामयिक विभाजन को फसल की उत्पादकता से जोडा गया और इस सामयिक विभाजन को ऐक खास नाम दिया गया फसली वर्ष और अकबर के राज्यारोहण के हिजरी वर्ष संवत 963 हि0 की संख्या 963 को यथावत फसली वर्ष 963 के रूप में अंकित किया गया।  ग्रेगेरियन कलेन्डर के अनुरूप

फिर कहता हूं ...!

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कल ही  माँ ने हिदायत दी थी उम्र बढ़ रही है तुम्हारी  अब सुबह सुबह भजन सुना करो  आज वही कर रहा हूँ माँ..? मखमल का कवर लगी  एक कुर्सी पर बैठा  तन्मय होकर, डूबकर एक भजन सुन रहा हूँ ''....जाऊ कहाँ तजि चरण तुम्हारे...'' आँखे बंद है  लेकिन जानती हो माँ..! यादे मिटती ही नहीं उसकी  पता नहीं  उसे याद भी है कि नहीं- उस दिन कैसे  बेधडक बेखौफ निश्चिंत  चली आयी थी वेा उस अंजुमन में  आते ही गुलाबी मखमल कवर लगी कुर्सी पर  धम्म से बैठ गयी थी बहुत देर बैठी रही लोग आते गये  वेा मिलती रही हां मै भी तो मिला था उससे औपचारिक अभिवादन के साथ बैठ गया था  पास ही खाली पडी कुर्सी पर कुछ देर बाद  उठकर चली गयी थी वेा और मैने लपक ली थी  उसकी वाली कुर्सी और बंद कर ली थी आंखे क्योंकि उस मखमल के कवर में  बाकी थी उसकी उष्मा जिसे गंवाना नहीं चाहता था  जैसे कोई बच्चा  नही गंवाना चाहता वो उष्मा  जो उसे मां के गर्भ में मिलती है तभी तो  बाहर आते ही  रोने लगता है नवजात  मुझे माफ करना मां...! याद नही है वह जीवनदायनी उष्मा  लेकिन  उस मखमली उष्मा को  आज भी  पुनः अनुभव कर लेता हूं  जब भी कभी किसी मखमली कुर्सी पर

तब क्रिश्चियन और इस्लामी कलेन्डर ऐक से होगें...!

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'' काल गणना'' आज जब सम्पूर्ण विश्व में सामान्यतः ऐक ग्रेगेरियन कलेन्डर ही लागू है तब भी अलग अलग धर्मो के तीज त्यौहार मनाने के लिये वे अपने कलेन्डर को ही मान्यता प्रदान करते है। इस हिसाब से हिन्दू त्यौहार शक संवत् अथवा विक्रमी संवत से इस्लामी त्यौहार हिजरी संवत से तथा फसल से जुडे त्यौहार फसली संवत से मनाये जाते हैं। सामान्यतः सभी कलेन्डरों में सूर्य की गति के आधार पर एक  वर्ष 365-366 दिनो का ही होता है। हिन्दू वर्ष चन्द्रगति पर निर्भर करता है परन्तु इसे सूर्य की गति से जोडने के लिये इसमें अधिमास की मान्यता है जिसके अनुसार प्रत्येक वर्ष बारी बारी से ऐक माह को अधिमास के रूप् में मनाया जाता है। ऐसे मे विभिन्न संवतो के पारस्परिक संबंध को याद रखने के लिये साधारण सा फार्मूला यह है कि- *सामान्य ई0 सन् से शक् संवत निकालने के लिये लिये 78 वर्ष धटाना है । यथा 2017 का शक् संवत 1939 है *सामान्य ई0 सन् से विक्रमी संवत निकालने के लिये 57 वर्ष जोडना है। यथा 2017 का विक्रमी संवत 2074 है *इस बार सामान्य ई0 सन् से हिजरी संवत निकालने के लिये 579 घटाना है। यथा 2017 का हिजरी संवत 1438

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